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कुंभ मेला में भक्ति की अनुभूति लिरिक्स | Kumbh Mele Mein Bhakti Ki Bhavana Lyrics

Kumbh Mele Mein Bhakti Ki Bhavana Lyrics


कुंभ मेला में भक्ति की अनुभूति लिरिक्स


कुंभ मेला में भक्ति की अनुभूति
संगम तट पे उमड़ा सागर, श्रद्धा का ये मेला है,
हर दिल में गूंजे भक्ति स्वर, आस्था का खेला है।
गंगा, यमुना, सरस्वती संग, त्रिवेणी का जल पावन,
डुबकी लगाते भक्तजन, हो जाते सब मनभावन।

भोर की गूंजती आरती, और दीपों की ज्योति,
कुंभ मेला में मिलता है, भक्ति की अनुभूति।
साधु-संतों की वाणी में, वेदों का संदेश,
हर कदम पर मिलता है, ईश्वर का परिवेश।
मंत्रों की गूंज, घंटों की टंकार,
हर ओर बिखरा है, श्रद्धा का संसार।

भक्ति का ये अनोखा रंग, सबको जोड़ दे,
कुंभ मेला में हर दिल, प्रेम से मोड़ दे।
हर कदम पर है पुण्य का आभास,
यहां मिलता है जीवन का विश्वास।
संगम की ये पावन धारा, जीवन को पावन कर दे,
कुंभ मेला की इस अनुभूति में, हर मन नर्तन कर दे।


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