त्रिवेणी में भक्ति भाव से गंगा भजन लिरिक्स
त्रिवेणी में भक्ति भाव से आकर डुबकी लगाए जो,
महा कुम्भ में पुण्य कमा कर भव सागर तर जाये वो,
सब तीर्थ राज चलो पाप अपने सभी धो लो ,
त्रिवेणी में भक्ति भाव से आकर डुबकी लगाए जो,
बाद भारत वर्ष मे ये अवसर मिला,
आने वालो का होता यहा पर भला,
पावन जल में यहाँ पर जो अमृत मिला,
उसकी महिमा से दुःख सारा पल में टला,
कष्टों का हो विनाश पापो का सर्वनाश,
सब के मिटते है दुःख यहाँ,
सब को मिलता है मोक्ष यहाँ,
लाख चौरासी कट जाए श्रद्धा से डुबकी लगाए जो,
महाकुंभ में पुण्य कमा कर भव सागर तर जाये वो,
त्रिवेणी में भक्ति भाव से आकर डुबकी लगाए जो,
भव भक्ति मिली जो यहाँ आया है,
फल कितने ये क्यों क्या यहा पाया है,
पुण्य कितना मिला उसको संसार में,
मुकत्ति अठासी पीढ़ियों को करवाया है,
ऐसी किस्मत खुली सारी विपदा टली,
कुंभ में तू डुबकी लगा लक्ष्य जीवन का तू कर पूरा,
शुद्धि करण को तन मन का कुंभ में आके नहाये वो,
पावन परम में पुण्य कमा कर भव सागर तर जाए जो,
त्रिवेणी में भक्ति भाव से आकर डुबकी लगाए जो,
पावन परम में पुण्य कमा कर भव सागर तर जाए वोवो