हर हर शंभु लिरिक्स
हरि ॐ त्र्य॑म्बकं यजामहे
सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम्
उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान्
मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ माऽमृता॑॑त्
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
चंद्रमा ललाट जागे
जटाओं में गंगा सोई
तेरे जैसा आदि योगी
हुआ है ना होगा कोई
चंद्रमा ललाट जागे
जटाओं में गंगा सोई
तेरे जैसा आदि योगी
हुआ है ना होगा कोई
बाबा इतना सरल तू
हर प्रार्थना का फल तू
मेरे भोले संभु
हर हर संभू
निर्बलों का है बल तू
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने गहरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने गहरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते
दुख के सिल्बतें आई
जब हमारे माथे पर
कोई ढूंढा शिवाला
और झुक दिया है सर
धड़कनो से आती है
अब कहां धुंआ कोई
आठो पहर सीने में
गुंजता है हर हर हर
बाबा दर्शन तू नयन तू
बाबा रत्नों का रतन तू
मेरे भोले संभु
हर हर संभू
निर्धनो का है धन तू
तेरे पैग में ना झुकते तो
उठ के सर ना जी पाते
तेरे बिन कोन है मौत में
भी जो मेघ बरसा दे
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने गहरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते
दानियों का दानी है तू
सारी सृष्टि याचक है
नाथ बेह यूज़ है किसका
जो तेरा उपासक है
आते जाते रहते हैं
धूप छाँव से नहाएँ
तू पिता है तेरी करुणा
जन्म से चिता तक है
बाबा जीवन तू मरण तू
बाबा ममता की छुअन तू
मेरे भोले संभु
हर हर संभू
सब सुखों का कारण तू
कोई गिना नहीं जग में
कर्म तेरे जो गिनावा दे
सुन अंदर सिहयी होता तो
तेरे उपकार लिख पाते
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने गहरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने गहरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते