आया हूँ मैं द्वार पे हे दुःखहरणी माँ भजन लिरिक्स
दोहा
दुर्गा दुर्गति दूर करो, काटो संकट आज ।
नैया भव से पार करो, रख लो ना माँ लाज ।।
आया हूँ मैं द्वार पे, हे दुःखहरणी माँ
अब तो पलक उघाड़ो, तेरा बालक द्वार खड़ा ।। टेर ।।
हार कर जग से मैं तरे पास आया हूँ
देख ले हालत मेरी दुःख का सताया हूँ
हे जगदम्बे मात भवानी, मेरी लाज बचा ।। û ।।
छोड़ कर चरणों को तेरे मैं कहाँ जाऊँ
तेरी जैसी माँ बता ममता कहाँ पाऊँ
कहाँ मिलेगा प्यार जो, तूँ ने मुझे दिया ।। ü ।।
बोल माँ कैसे मेरी तूँ सुध् भुलाई है
पा रहा दुःख मैं तेरे कैसे सर्माइ है
मेरी हालत पे माँ तुझको, आती नहीं दया ।। ý ।।
भूल जो मुझसे हुई उसको क्षमा कर दे
प्यार से सिर पे मेरे माँ हाथ तूँ धर दे
‘बिन्नू’ को तेरे प्यार से बढ़कर, और चाहिए क्या ।।