हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में भजन लिरिक्स
हरि ऐसे बसो मेरे मन में, जैसे तुलसी वसी आंगन में।
हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।
जैसे फूलों में खुशबू है रहती, हमको नजर नहीं आती।
ऐसी खुशबू फैला दो मेरे मन में कोई देखे ना तुमको हम में।
हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में,
जैसे मेहंदी में रंग है रहता, किसी को नजर नहीं आता।
ऐसे रंग को रंगा दो मेरे मन मे, कोई देखे ना तुमको हम में
हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में,
जैसे मिश्री में मीठा है रहता, किसी को नजर नहीं आता
ऐसे मीठा बना दो मेरे मन को, कोई देखे ना हमको तुमको
हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में,
जैसे सागर में पानी है गहरा व किसी को नजर नहीं आता।
ऐसा गहरा बना दो मेरे मन को कोई देखे ना तुमको हम में। हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में,