नाम हरि का जपले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा कबीर भजन लिरिक्स | Naam Hari Ka Jap Le Bande Phir Pichhe Pachtayega Kabir Bhajan Lyrics
नाम हरी का जप ले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा
तू कहता है मेरी काया काया का घुमान क्या,
चाँद सा सुन्दर यह तन तेरे मिटटी में मिल जाएगा,
फिर पीछे पछतायेगा......
बाला पन में खेला खाया आया जवानी मस्त रहा
बूडा पन में रोग सताए खाट पड़ा पछतायेगा,
वहां से क्या तू लाया बन्दे यहाँ से क्या ले जाएगा,
मुठ्ठी बाँध के आया जग में हाथ पसारे जाएगा,
जपना है सो जपले बन्दे आखिर तो मिट जाएगा,
कहत कबीर सुनो भाई साधो करनी का फल पायेगा,