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कैसी आ रही बहार सत्संग में लिरिक्स | Kaisi Aa Rahi Bahar Satsang Mai Lyrics

Kaisi Aa Rahi Bahar Satsang Mai, Satsang Lyrics


कैसी आ रही बहार सत्संग में लिरिक्स


कैसी आ रही बहार सत्संग में,
बहना तुम चलो साथ सत्संग में....

पहली सखी से यूं उठ बोली,
बहना तुम चलो साथ सत्संग में,
या सत्संग में हम नहीं जाएंगे,
मेरी लड़ रही सास सत्संग में,
कैसी आ रही बहार सत्संग में.....

दूजी सखी से यूं उठ बोली,
बहना तुम चलो साथ सत्संग में,
या सत्संग में हम नहीं जाएंगे,
हमारे लड़ रहे भरतार सत्संग में,
कैसी आ रही बहार सत्संग में.....

तीजी सखी से यूं उठ बोली,
बहना तुम चलो साथ सत्संग में,
या सत्संग में हम नहीं जाएंगे,
हमारे रो रहे नंदलाल सत्संग में,
कैसी आ रही बहार सत्संग में.....

चौथी सखी से यूं उठ बोली,
बहना तुम चलो साथ सत्संग में,
या सत्संग में हम नहीं जाएंगे,
हमारे आ गए रिश्तेदार सत्संग में,
कैसी आ रही बहार सत्संग में.....

पांचवी सखी से यूं उठ बोली,
बहना तुम चलो साथ सत्संग में,
या सत्संग में हम नहीं जाएंगे,
हमें चल रहा बुखार सत्संग में,
कैसी आ रही बहार सत्संग में.....

सत्संग सुन मैं घर को आई,
पांचो खड़ी बतलाए गलियन में,
थोड़ा प्रसाद बहना हमको भी देना,
यह प्रसाद बहना तुम्हें ना मिलेगा,
तुम री लड़ रही सांस सत्संग में,
तुमरे आ गए भरतार सत्संग,
तुम्हारे रो में नंदलाल सत्संग में,
तुम्हारे आ गए रिश्तेदार सत्संग में,
तुम्हें चल रहा बुखार सत्संग,
यह प्रसाद बहना उसी को मिलेगा,
जो जाएगी मेरे साथ सत्संग में.......



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